चंद्रघंटा!!
नवरात्र के तिसरा दिन माँ देवी चंद्रघंटा के पुजा के महत्व बा। माँ के कृपा से भक्त के अलौकिक वस्तु के दर्शन होला। एह क्षण में भक्त लोग के बहुत हीं सावधान रहे के चाहिँ ।
एह देवी के आराधना से भक्त में वीरता आ निर्भयता के साथ साथ सौम्यता आ विनम्रता के भी बिकास होला। माता चंद्रघंटा के रंग सोना के जईसे चमकिला बा। माता के तीन गो आँख आ दश गो हाथ बा ईनकर कर-कमल गदा,बाण,धनुष,त्रिशुल,खड्ग,खप्पर,चक्र अस्त्र शस्त्र ह।
अग्नि जईसन वर्ण वाली ,ज्ञान से जगमगावे वाली माई हई चंद्रघंटा। माई शेर पर सवार रहेली आ युद्ध लडेला हरदम तत्पर रहेली। माई चंद्रघंटा के कृपा से भक्त के सम्पुर्ण पाप आ बाधा नाश होजाला।
माई के कृपा से पराक्रम आ निर्भयता के भी बिकास होला। माई प्रेत बाधा से भी रक्षा करेली। माई के उपाषना से मनुष्य के सम्पुर्ण संसारिक कष्ट से मुक्ती मिल जाला। तृतीया के दिन भगवती के पुजा में दूध के अधिक महत्व होला आ पुजा के बाद ओह दूध के कवनो ब्राह्मण के दान देला से भगवती प्रशन्न होखेली।
देवी चंद्रघंटा के खुश करे खातीर भक्त लोग के भुवर रंग के वस्त्र धारण करे के चाहिँ। माई के आपन वाहन सिंह बहुत हीं प्रिय बा ओहिसे भुवर रंग उनका ज्यादे पसंद बा। एकरे अलवा उजर चिज के भोग दूध भा खीर माँ के अधिक पसंद परेला। माई के शहद के भी भोग लगावल जा सकेला।
प्रिया मिश्र “मन्नु”