विवाह पञ्चमी
मैयाँ सीता की जन्म भूमि,
पावन औसर पर सोह्र श्रृंगार भईल बा,
मिट्टीया से निकल विटीया के बतवा,
मैया जानकी की नगरी में फूली झन्कार भईल बा |
जनकपुर धाम के गलि-गलियन,
मखमली फुलवा के सेज बिछाइल बा,
मंदिर-अंगाना पर दीपक दहकल,
भजन- कृतन में सुरवा खिलाइल बा।
मिथिला दरबार में मंगल गूँजत,
सखी-संग नाच गावल जात बा,
सिया-राम के वरमाला तैयार,
दुआर-अंगना आनंद बसरात भईल बा।
चौक-चरिया में रंगोली सजल,
हर रंग में जनकपुर महक उथल बा,
मिठाई-लड्डू से भइल थाली भरल,
मिथिला के रसवा-मखान घुलल बा।
अइसन रसमय, सुगंधित समैया,
जहवाँ स्वयम् धरती धन्य भइल बा,
विवाह-पञ्चमी के पावन परबिया पर,
सीता-राम के मिलन अमर भइल बा।
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